Best Collection Of Faiz Ahmad Faiz Shayari In Hindi | With Gazal Images

Faiz ahmad faiz ka introduction 

नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका हमारी एक नई और अनोखी ब्लॉग पोस्ट में जिसका नाम है faiz ahmad faiz shayari इस ब्लॉग पोस्ट में हमने faiz सहाब की सबसे मशहूर शायरियोंको और ग़ज़लोंको जोड़ा है जिन्हें पढ़कर हर किसी के मुह से सिर्फ एक ही लफ्ज़ होगा "वाह क्या शायरी है".

दोस्तो फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एक ऐसी शख्सियत है जिसे हर शायरी और ग़ज़ल की समझ रखने वाला हर शक्स पहचानता है. क्योंकि फ़ैज़ साहब ने अपनी गज़लों के जरिये अपने सुनने वालों के दिल पर वो छाप छोड़ी है जिसका कोई अंदाज़ भी नहीं लगा सकता. 

और हमने उन्ही सभी शायरियोंको जोड़कर इस faiz ahmad faiz की ब्लॉग पोस्ट को लिखा और प्रकाशित किया हैं क्योंकि हम उनकी शायरियों और गज़लों को अमर करना चाहते हैं, दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में आपको faiz ahmad faiz की उन शायरियों और गज़लों को जोड़ा है जो कि कहीं प्रकाशित नहीं हुई और कहीं सुनाई भी नहीं गयी, दोस्तों आपको फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरियोंको को पढ़ते हुए आप उस एहसास को महसूस करोगे जो बस दो लफ़्ज़ों में आपकी पूरी जिंदगी का फसाना बयान कर देता है.

99+ Best faiz ahmad faiz ki shayari ka collection 

वो लोग बहोत खुशकिस्मत थे जो, जो इश्क को काम समझते थे या काम से आशिकी रखते थे, हम जीतेजी मशरूफ रहे कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया काम इश्क़ के आड़े आता रहा और इश्क़ से काम उलझता रहा, फिर एक दिन तांग आकर हमने दोनों को अधूरा छोड़ दिया.

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Faiz ahmad faiz ki shayari

सिर्फ ओ सिर्फ एक फूल मुरझाया तो बाग मैं तो क्या कोहराम मचा, किसी का चेहरा उतरा तो कइयों के दिल नाशाद हुए.

जनाब अब अगर कोई शक्स पूछे तो उसे क्या खुदके हालात कहें, इस कम्बखत दिल में तो सिर्फ दर्द ही भरा है, जरा कम हो तभी तो उससे खुदके हालातों के बारे में बात करें.

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जिंदगी में कभी अब्र तो कभी शराब आये, उसके बाद जो पड़ाव आये जिंदगी का उसमें आये जो अजाब आये.

अबके रातों को नींद नहीं आती सुना है वो अब ख्वाबों में आता है.

आखिर कब तक रहेगा जिंदगी में गम आखिर कब तक ये अंधेरी रात होगी, सुना है वो उनकी एक झलक देखने मिलेगी तभी शायद दिल की बैचेनी कम होगी.

मुश्किलें होती है बड़ी तकलीफि लेकिन इन तकलीफों में भी अजीब सी राहत है, है नहीं उसे मेरी मोहब्बत की कद्र लेकिन जिंदगी में वही मेरी चाहत है.


Faiz ahmad faiz ki shayariyan

हर कोई मुसिबतों के समय मैं हमें याद करता है, फ़ैज़ इस दुनिया में रिश्ते निभाना इतना भी आसान नहीं.

जिसको पाना हमारी जिंदगी का मकसद था, उसे हमारी सारी ख्वाइशें ना गवार गुज़री.

फ़ैज़ और भी कई खूबसूरती के मिसालें है उसके सिवा, अपनी आँखों को तो हटाओ उनकी सूरत से.

जिंदगी में खुशियों की सौगात नहीं, लेकिन गमों की बात तो है, साथ नहीं है उसका लेकिन बंजर पड़ी जमींन नुमा जिंदगी में उसके यादें की बरसात तो है.

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Faiz ahmad ki shayari yan hindi mai

बना ही रहें थे ज़माने के लिए दिल में एक सरहद लेकिन  तुम्हारी मोहब्बत ने तो पूरे दिल पर ही अपनी गिरफ्त में ले लिया.

फ़ैज़ जिंदगी में अब और क्या देखना बाकी है, उनसे मोहब्बत कर दुनिया की हर चीज़ को महसूस कर लिया.

मेरी जिंदगी की हर चीज़ को तुझपे हारना चाहता हूं, तू भलेही बेवफाई करे लेकिन तुझ जैसी बेवफा को हर पैदाइश में अपनी मोहब्बत से नवाजना चाहता हूं.

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जब कभी भी तेरी बेवफाई के जख्म दिलसे भरने लगते हैं, हम जान कर तुझे याद करने लगते हैं, और जब जख्म फिरसे हरे होने लगते हैं, तुझसे की हुई मोहब्बत का हम वो तोहफा समझते हैं.

न हो किस्मत में तेरा साथ तो तेरी खुशबू ही सही, भलेही हातों में हाथ नहीं है तेरा लेकिन जिंदगी बिताने तेरी परछाई ही सही.

कुछ हालात ज़िन्दगी में अच्छे तो कई खराब आये लेकिन जब भी आये तुम्हारी अदाओं के पल ज़ेहन में गमों की धूप में खुशियों की बरसात लाये.

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Shayar Faiz ahmad faiz ki shayari

बेरंग जिंदगी में खुशियों के रंग भरे, हर जगह अकेलापन छाया है यहां चलो रूह से मोहब्बत कर ज़माने से सभी बुराईयों को दूर करें.

थे जिंदगी में तो हर शक्स से अपनापन महसूस होता था, बारिशों में भी अक्सर तेरा इश्क़ गर्माहट देता था.

Faiz ahmad faiz ki sabse mashhur shayari 

इस जिंदगी को किसीने गलत पता दे दिया है, आये दिन गमों को बक्सा मुझे मिल जाता है, मुसीबत, गम, दर्द तो बहोत है हमारे हिस्से में लेकिन जब भी उसका एक मुस्कुराता पल देखने मिलता है, हमारे जिस्म का हर हिस्सा मुस्कुराने लगता है.

भंवरा बन उसी फूल के इर्दगिर्द मंडराने लगा हूँ, कांटे तो बहोत है राह में, लेकिन उससे मुलाकात करने की चाह में सभी दर्द को मंजूरी दे रहां हूं.

नजाने उसके वापस आने की क्यों झूठी उम्मीदें लगाए बैठा हूं, बेशक है मोहब्बत बहोत लेकिन उसके दिल से खुदको मिटाए बैठा हूं.

है खूबसूरत इतना कि उसके हर अदा पर जान छिड़कता हूं, इश्क बेजुबान भलेही हो लेकिन उसके दिल के हर लफ्ज़ को अच्छी तरह पहचानता हूं.

आखिर कब तक जिंदगी में गमों को सजाए कभी तो खुशियोंकी बरसात होगी, माना कि आजकल साथ नहीं है मेरे कभी तो सच्चे लोगों की पहचान होगी.

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Ahmad faraz ki shayari ya

हम उसको जिंदगी में वापस लाने की हर मुमकिन कोशिश को करते रहेंगे, और जब तक नहीं मिलता उनका पता तब तक यूँहीं जुर्माना भरते रहेंगे.

ज़माने ने तुझे न जाने क्यों बेवफा बना दिया, हम जानते है तुझमें है काबिलियत जमाने को वफाई का मतलब समझाने की.

आरजू तो तुझे पाने की ज़माने को है लेकिन तुझे हर किसिका होने की जरूरत नहीं, मुझे यकीन है तू है सिर्फ मेरी तुझे इसका यकीं दिलाने की जरूरत नहीं.

किस्से तो मोहब्बत के भी है कई कई है शर्मनाक ज़माने के, है इनमें सिर्फ मुक़्क़दस पल रूहानी आशिकों के.

इस जहां मैं हर शक्स का एक सरीखा लहज़ा लगता है, लेकिन एक वही शक्स है जो पूरी दुनिया से अलग लगता हैं.

मोहब्बत का हर रंग हर ढंग देखने को मिलता है, और जब मुस्कुराता है वो तो सीधा जन्नत का एहसास होता हैं.

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अपनी सारी दौलत तेरी इश्क़ में खोकर चला है, वो आशिक खुदकी ही बर्बादी की राह पर.

जब कोई आशिक चाहने एक तवायफ को निकले, ज़माने में अपनी नजर ओ ईमान को झुका कर चले.

चलो इशक़ नहीं चाहने की आदत है, अब क्या करें हमें एक दूसरे की आदत हैं, तू अपने शिशागरी का हुनर न कर जाया, में आईना हु मुझे टूटने की आदत है, में क्या कहूँ की मुझे सब्र क्यों नहीं आता में क्या करूँ की तुझे देखने की आदत हैं.

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Faiz ahmad ki shayari ya
बोल तेरी जुबान आजाद है, ज़माने में है मौजूद बहोत सी बातें लेकिन तेरी बातों मैं मोहब्बत का एहसास है, लाख तुझे पाने के ख्वाब देखूं लेकिन सभी बेबुनियाद है, क्योंकि तेरी खुशियां जो किसी और साथ है.

तुझे अपनी बाहों में भरने की चाह तबसे है, देखी ये दुनिया हमने जब से है, तू अकेला होता तो तुझे जरूर अपना बना लेते, लेकिन क्या करें फ़ैज़ तेरी खुशियां तो ज़माने भर से हैं.

फ़ैज़ अगर ये मोहब्बत की बाज़ी है तो लगा दो अपना सबकुछ दिलमें कोई डर कैसा, अगर जीत गए तो बात ही क्या, और अगर हार भी गए तो भी हार नहीं.

अपना सबकुछ तेरे हवाले छोड़ के जा रहा है, वो आशिक अपनी तुझमें अपनी सदियां गुजार के.

किसीके मुस्कुराने पर ज़माने में क्या कोहराम मचा, कई घायल हुए तो कइ बाल बाल बचे.

दोस्तों अब रुख करतें है faiz ahmad faiz की जिंदगी की कहानी पर की कैसे एक मामूली लड़का हिंदुस्तान और पाकिस्तान का सबसे पसंदीदा शायर बना, तो ये कहानी शुरू होती है 13 फरवरी 1931 को जब एक मध्यमवर्गीय परिवार में सियालकोट (पाकिस्तान) में faiz ahmad faiz का जन्म हुआ उनका बचपन एक आम इंसान की तरह रहा faiz का शुरुआती पढ़ाई उर्दू, अरबी और फारसी भाषा में हुई जिनमै उन्होंने कुरआन को भी बड़ी बारीकी से पढ़ा जिससे उन्हें जिंदगी की सच्चाई और हालातों से किसतरह लढा जाए इसका हौसला मिला. 

फिर उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई लाहौर विश्वविद्यालय और स्कॉटिश मिशन स्कूल से की दोस्तों कहा जाता है कि उनको लिखने की आदत इन्ही स्कूलों में पढते वक्त हुए लगी फिर faiz ahmad faiz gazal लिखने लगे जिसे उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में सुनाया तो उन्हें काफी ज्यादा सराहना मिली. 

जिसे ध्यान में रखते हुए faiz ahmad faiz ने कई शायरियां भी लिखी जिससे उनके एक बेमिसाल बनने का सफर शुरू हुआ, शायरियां लिखने के साथ उन्होंने अपनी किताबी पढ़ाई को भी जारी रखा और 1933 और 1934 में उन्होंने अरबी और अंग्रेजी भाषाओं में एमए को पूरा किया फिर उन्होंने एमएओ कॉलेज में लेक्चरार का किरदार निभाया.

और फिर कुछ सालों बाद यानी 1941 में पढ़ाना छोड़कर उन्होंने एक किताब को प्रकाशित किया जिसका नाम "नक्श ए फरियादी" था फिर उनकी उम्र शादी के लायक हो चुकी थी तो उन्होंने शादी करने का फैसला लिए और एक ब्रिटिश समाजसेविका से शादी की जिसका नाम एलिस जॉर्ज था फिर वो अपने बीवी बच्चों को लेकर दिल्ली में आ बसे और फिर उन्होंने अपने पेशे को बदलना चाहा और वो उसमें सफल भी हुए, उन्होंने ब्रिटिश इंडिया नेवी में खुदको भर्ती करवाया और अपनी मेहनत और लगन की वजह से वो नेवी के कर्नल की पोस्ट पर भी पहुंचे.

Faiz ahmad faiz ki 2 line shayari 

उस कहानी में उनका एक जिक्र तक नहीं था कम्बखत वही बात उन्हें ना गवार गुजरी.

बेवजह ही खफा हो, खफा होने की वजह का तो जिक्र करो, बहोत हो चुकी रुसवाई, अब मोहब्बत की बात करो.

आखिर कब तक हमें अकेले सुलाओगे, कब तक ख्वाबों में आने के वादों को नहीं निभाओगे, ये वक्त यूँही बीत जायेगा किसी दीन जरूर पछताओगे.

नाम फ़ैज़ है किसी के नक्शे कदमों पर कभी चलता नहीं, जिस रास्ते पर चलता हूँ, जिस रास्ते पर कोई आम इंसान चलता नहीं.

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Faiz Ahmad faiz ki anokhi shayari

जमाने ने तुझे बेवजह ही रुसवा कर दिया, अगर हमारे बस में होता तो ज़माने से कभी रूबरू नहीं करते. 

लोग मुस्कुराते है लोग मुस्कुराते रहेंगे ये मेरी मोहब्बत है वक्त के साथ यूँही तेरा दीवाना होते रहेंगे.

हमारा दिल अच्छे से जानता है कि उनकी मुस्कुराहट कभी नही देखने मिलेंगी, लेकिन उसके इंतज़ार में हमारी पलकें उम्रभर यूँही बिछी रहेगी.

उससे बिछड़ने से पहले हम भी मुस्कुराते थे और खिलखिलाते थे, लेकिन कबिभी गमों से रूबरू नहीं होते थे.

है गमों की बारात हमारे जिंदगी के हर कतरे में, इसे मिटाने तुम लौट आने की बात करो.

ये जिंदगी भी अजीब सी गुजरी है, जिनसे उम्मीदें नहीं थी उन्होंने ही जिंदगी सवारी है.

कब रुकेगा ये गमों का मातम कब सुहानी शाम होगी, जब तक नहीं मिलती उनके लौट आने की कोई खबर तब तक यूँहीं जिंदगी चलती रहेगी.

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Faiz ahmad ki shayariya

निकल तो आये हैं तेरी जिंदगी से लेकिन हमारा दिल ही जानता है कि कीन शर्तों पर तेरे इश्क़ का नजराना छोड़ आए है.

मोहब्बत करते हो तो हमें बताया क्यो नहीं, तुम भी बड़े अजीब आशिक हो, मोहब्बत तो करते हो लेकिन इजहार नहीं करते.

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सारी दुनिया से रिश्ता तोड़ देंगे बस शर्त हो तुम हमारे साथ हो.

अब के ज़माने तेरी आँखों में खोने लगे है, बंद करो अपनी आँखें तुम्हारा दिल के सभी कोने भरने लगे हैं.

ये दाग दाग उजाला ये शब-ग़ज़िदा ये सहर वो इंतजार था जिसका ये वो शहर नहीं.

दिल से तो हर मामले को करके चले थे साफ हम, कहने में उन के सामने बात बदल गयी.

फ़ैज़ आखिर किस वक्त ठहरेगा इस दिलका दर्द कब रात बसर होगी, सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी.

Faiz ahmad faiz ki Gazalen

मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब ना मांग, मैन समझा था कि अगर तू है तो दरक्षा है हयात, 

तेरा गम है तो गम-ए-दहर का झगड़ा क्या है, तेरी सूरत से है आलम ए बहारों को सबात, तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है, तू जो मिल जाये तो तकदीर निगूं हो जाये, 

यूं न था कि मैंने चाहा की फकत यूँ हो जाये, और भी दुःख है जमाने में मोहब्बत के सिवा, रातें और भी है वस्ल के सिवा, अनगिनत तारीखों बैमाना तिलस्म रेशम-ओ-अतल्स-ओ-कम-ख्वाब में बुनवाये हुए, 

जा ब जा बिकते हुए कूचे हो बाज़ार में जिस्म ख्वाब में लुथड़े हुए खून में नहलाये हुए, जिस्म निकले हुए अमराज़ के तन्नूरों से, पिप बहती हुई गलते हुए नासुरों से, लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजिये कब भी दिलकश है हुस्न तेरा क्या कीजिये.

Gazal no 2

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आज के नाम और आज के गम के नाम, आज का गम की जो है जिंदगी के भरे गुलसितां से भरा, जर्द पत्तों का बन जो मेरा देश है, दर्द की अंजुमन जो मेरा देश है, 

किलरकों की अफसुरदा जानों के नाम, किमखुर्दा दिलों और जुबानों के नाम, पोस्टमानों के नाम, टाँगेवालों के नाम, कोचवाणों के नाम, 

कारखानों के भोले जियालों के नाम, बादशाह ए जहां वालिये मा सवा नायबुल्ला एलफ ए अर्ज़ देहखा के नाम.

Gazal no 3 

जिसकी बेटी को डाकू उठा ले गए जिसके ढोरों को जालिम हका दे गये हाथ भर खेत से एक अंगुष्त पटवार ने काटली, दूसरी मालिये के बहाने से सरकार ने काटली, 

जिसकी पग जोरवालों के पाओं तले धज्जियां हो गयी हैं, उन दुखी माओं के नाम, जिनके बच्चे बिलगते हैं और नींद की मार खाये बाजुओं से सम्हलते नहीं, 

दुख बताते नहीं मिन्नतों जारिओं से बहलते नहीं, उन हसीनाओं के नाम जिनकी आखों की खुल चिलमनों और दरीचों पे बेकार खिल खिल कर मुरझा गए है, उन ब्याहाताओं के नाम, जिनके बदन बेमोहब्बत रेजाकर सेजाओं सज सज कर उपता गए हैं, बेवाओं के नाम गलियों और गठरियों और मोहलों के नाम जिनकी नापाक खाशाक से चाँद रातों को आ आ कर करता हैं फुजू, जिनके साये से होती है आहों पुकार, आंचलों की हिना, चूड़ियों की खनक, 

काकुलों की महक, आरजुमंद सीनों की अपने पसीने में जलने की बू, पढ़ने वालों के नाम , वो जो असाहबीत्तों तबलो तालम पे, किताब और कलम का तकाज़ा लिये हाथ फैलाये पहुंचे हैं, पर लौट के घर न आये वो मासूम, वो जो अपने नन्हे चिरागों में लव की लगन लेके पहुंचे है, जहां बात रहे थे घड़ाडों पियंत रातों के साये उन असीरों के नाम, 

जिनके सीने में फरदा के शब्दाताब गोहर, चिलखानों की शोरीद रातों में जलजल कर अंजुम नुमा हो गए हैं, आने वाले दिनों के सफ़िरों के नाम, वो जो खुशबू ए गुल की तरह अपने पैगामों पर फिदा हो गए हैं.

दोस्तों आपको हमारी यह faiz ahmad शायरी की ब्लॉग पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताना. और इस ब्लॉग पोस्ट मैसे faiz ahmad gazal अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करना जो जिंदगी की गहराई और खूबसूरती को शायरियोंके जरिये समझना चाहते हैं.

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