[85+] Popular Evergeen Shayari Of Mohsin Naqvi | Mohsin Naqvi ki Shayari images

Introduction and shayari of mohsin naqvi

नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका स्वागत है आपका shayrislap.com पर आज हम आपके लिए एक बढ़ेगी मशहूर शायर मोहसिन नकवी शायरी की ब्लॉग पोस्ट लेकर आ चुके है, दोस्तों शायरी और ग़ज़ल की दुनिया में मोहसिन नकवी बढ़ेगी फैन्स के बीच बड़ेही मशहूर है, मोहसिन नकवी गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च होने वाले शायरों में से एक है क्योंकि मोहसिन नकवी जी की शायरियोंका एक अलग लहज़ा है और तो और उनकी शायरियोंमें हमें मासूमियत और ज़माने की सच्चाई देखने को मिलती है. 

जिसे अपनी शायरियोंमें लाना किसी आम शायर के बस की बात नहीं. दोस्तों मोहसिन नकवी जी की शायरियां हिंदुस्तान और पाकिस्तान में काफी ज्यादा मशहूर है क्योंकि उन्हें हिंदुस्तान की मिट्टी से उतना प्यार था जितना उन्हें पाकिस्तान की मिट्टी से था

क्योंकि मोहसिन साहब ने ग़ज़ल और शायरियां लिखना बंटवारे के बाद लिखना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से उन्हें हिंदुस्तान में काफी ज्यादा लोग जानने पहचानने लगे मोहसिन साहब ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा भी था कि "मैं हिंदुस्तान को अपना दूसरा सबसे अज़ीज़ मुल्क मानता हूं" उनकी इसी मोहब्बत को देखते हुए हिंदस्तानी लोगों ने उनसे प्यार करना नहीं छोड़ा. 

बैर हाल अब बात करते है मोहसिन नकवी की जिंदगी के बारे में कैसे एक आम लड़का दुनिया भर में सबसे मशहूर शायरों में से बना तो यह कहानी शुरू होती है 5 मई 1947 को जहां एक मुल्क का दो हिस्सों में बंटवारा हुआ एक हिस्सा हिंदुस्तान कहलाया तो एक हिस्सा पाकिस्तान ये दोनों ही मुल्क अब काफी तरक्की की राह पर चल रहे हैं, फिर उनके पिताजी "सय्यद चिराग हुसैन शाह" जी ने पाकिस्तान मै रहने का फैसला किया मोहसिन साहब का पहला नाम "गुलाम अब्बास" था जिसे बाद में उनके घरवालों ने बदल कर "गुलाम अब्बास मोहसिन नकवी" रख दिया.

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आखिर कौनसी ऐसी अनोखी बात है मोहसिन तुममें, घने अंधेरे में भी इतना कैसे चमकते हो, ज़माने में आबादी है बहोत सारी लेकिन इनमें से सिर्फ तुम ही हमारे दिल अच्छे क्यों लगते हो.

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Mohsin naqvi ki shayar ya 
क्यों न साथ मिलकर एक नई कहानी बना दी जाये, है जो कमियां हममें उसे साथ मिलकर पूरी की जाये, कोई नहीं करता मोहब्बत आज कल के जमाने में, क्यों न जमाने की रिवायत बदल दी जाए.

तू मेरे जिंदगी में कुछ वक्त के आ, मेरी जिंदगी से ये गमों की बारात तो जाये, शहर में होती है शाम हर एक शख्स की सुहानी, हम तो जी रहें हैं गमों के साये में शाम कभी हमारी भी तो सुहानी हो जाये.

यूँ चुपछुपकर उसे मोहब्बत की निगाहों से देखना बिल्कुल भी अच्छा नहीं है मोहसिन कांच सी वो है तो पत्थर सी तेरी नज़र.

यूँ हमेशा का का हंसना मुस्कुराना तुझे बर्बाद न कर दे, मोहसिन गमों के पलों में कभी कभी रो भी लिया कर.

जब कभी तुम्हें रूबरू होकर सुकून से देखा करेंगे अभी तो जताते नहीं हम अपनी मोहब्बत को लेकिन वादा है तबसे हर वक्त अपनी मोहब्बत का इजहार किया करेंगे.

दौलत का इतना भी फक्र मत कर वक्त आने पर सबकुछ तबाह हो जाएगा, जिंदा है तो इंसान की कद्र कर वक्त आने पर वही काम आएगा.

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Mohsin naqwi ki shayari
तुम क्या जानो मोहब्बत में क्या होता है, होता है आबाद कोई शख्स तो कोई बर्बाद होता है, और दे जाती है जिसकी मोहब्बत साथ वो शख्स फ़क़ीर होकर भी सबसे दौलतमंद होता है.

उसके मोहब्बत के पलों में हमारी जिंदगी संवर सी जाती थी, एक डिब्बी में बंद पड़ी हुई किस्मत अक्सर खुल सी जाती थी, और हमारे जिंदगी में खुशियों की नई सौगात लाती थी, थी हमें उससे बहोत मोहब्बत लेकिन मोहसिन उसी की मंज़िल बेगानी थी.

हमारे सिर्फ लफ़्ज़ों को ही मत समझो कभी कभी हमारी आँखें भी पढ़ो, कमबख्त कुछ सवाल बड़े ही खुद्दारी से भरे होते हैं

कल उड़ते परिंदे ने भी कहा मोहसिन यू ना दरबदर फिरा करो शाम होती है रोज कभी तो अपने घर जाया करो.

वो रोज़ सुबह मेरे खयालों को अपने ज़हन से इसलिए मिटाने की कोशिश करती है, की उसे डर होता है कहीं उसे मुझसे दोबारा मोहब्बत ना हो जाये.

लाख छुपाने की कोशिश करो ये छुपते नहीं छुपता, ये तेरी मोहब्बत का सूरज है मोहसिन इसमें बहोत आग है ये बुझते नहीं बुझता.

सच्ची मोहबब्त नही होती बंदूक या तलवार से, ये तो एक मुक़्क़दस खुशबू है जो आती है सिर्फ अपनों के किरदार से.

मोहसिन जबसे उसके कदमों ने हमारे शहर को छोड़ा है हर गली हर मोहल्ला सुमसान है, सिर्फ हमारा ही हाल मत पूछो जनाब क्योंकि इसमें तो पूरे शहर का नुकसान है.

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Mohsin naqvi ki sabse anokhi shayari

खुले आसमान में कुछ तारे तो एक चाँद की मौजूदगी भी थी, मुझे तो थी उससे मोहब्बत लेकिन उसे किसी और से थी.

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और कहां मिलेंगे सबूत मेरी मोहब्बत के तेरी एक झलक पाने के लिए कम्बखत आज भी दरबदर फिर रहां हु.

आखिर किस तरह मिटाउ अपने ज़हन से तेरी उन यादों को, अब तो एक याद मिटाउ तो तेरी यादों का सैलाब आ जाता है.

चार दिन की ज़िंदगी में एक दिन की मौत तो एक दिन की शुरुवात होती है, बाकी दो दिनों मैं असल जिंदगी की बात होती है, यहां आए हो तो कभी किसी के साथ मोहब्बत मत करना वरना चारों दिन में सिर्फ गमों की बरसात होती है.

कायम थी उसकी जुनूनीयत तो उसे अपनी मंज़िल को पाना ही था, ज़माना भलेही उसकी राह का पत्थर बना, लेकिन उसे उन सभी पत्थरों को समेटकर अपना आशियाना बनाना ही था.

है आशिक चोट खाया तो उसे और मत छेड़, अगर ये खौल उठा तो इसमें तेरी शक्सियत भी मिटा जाएगी.

मोहब्बत मत कर ए लड़की तू बहोत पछताओगी, इतनी छोटी आखों से इतने बड़े ख्वाबों को मत देखो तुम थक जाओगी, है मोहब्बत का रास्ता बहोत पेचीदा मुझे यकीं है, तुम रास्ता देखकर ही लौट जाओगी.

Mohsin naqvi ki sabse anokhi aur ansuni shayari hindi mai 

खुदके अंदाज़ों को देखती है आईने में वो, और इसका भी बराबर ख्याल रखती है कि कोई गैर उसको देखता न हो, मुझसे इश्क का इजहार तो करती है आखों से ही, लेकिन कभी जताती नहीं है अपनी हरकतों से वो.

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Mohsin naqvi ki shayari

मोहसिन जब वो था हमारे साथ इस जिंदगी की सभी परेशानियोंसे हमारा वास्ता छूठ जाता था, हम तो मुस्कुराते ही थे लेकिन हमारे साथ हमारे गमों का हर एक कतरा भी मुस्कुराता था, नहीं होता था जब हमारे साथ कोई, तब वही शक्स हमारे लिए सबकुछ बन जाता था.

ये शहर है खूबसूरत लेकिन इसमें आखिर किसतरह से जिएंगे हम, मोहसिन है बहोत पराये इस चगमागते शहर में, अगर कोई अपना ना मिला तो मर ही जायेंगे हम.

हमारे पास है कदम तो अपनी मंज़िल की और खुदही बढ़ाना पड़ेगा, इस दुनिया में ऐसा कोई शक्स नहीं जो मंज़िल को तुम्हारे पास ले आयेगा.

उसकी कहानी की एक दास्तान थी मेरे दिल में, और उस कम्बखत ने महफ़िल में मेरी सिर्फ दो ही बातें गिनाई, मोहब्बत में बगावत पर तो उतर ही आया था ये दिल लेकिन उसने मुस्कुराकर हमारी सारी मुश्किलों मिटाई.

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उसने तो हमें वाले चिराग की बुझी बेकार लौ समझा था, लेकिन उसको कौन समझाए की हमारी रोशनाई से रोज़ कितने मकान रौशन होते हैं.

चाहता हूं तुझे इसलिए शराफत से में तेरा इंतज़ार कर रहा हूं, कम्बखत सिर्फ ज़माने के लिए ही जिंदा हूं, वरना अंदर से तो मैं पल पल मर रहां हूं.

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Mohsin baaki ji ki anokhi shayari
अब तो जैसे पलट जाती है जिंदगी मेरी जब भी तेरे खयालों को अपने दिलमें उतारता हूं, मुस्कुरा जाती है मेरी सभी रगें तुझे हंसता देखकर तेरी खुशियोंकी वजह तो तब पता चलती है जब तेरे उंगलियों में किसी गैर की अंगूठी देखतां है.

Mohsin naqvi biography

दोस्तों आपको बतादें की मोहसिन साहब की 6 भाई बहन थे जिनसे वो बहोत प्यार करते थे. वो जब अपना बचपन जी रहे थे तभी से मोहसिन नकवी शायरियां लिखने का शौक रखते थे जिसे आगे जाकर उन्होंने अपना पेशा भी बना लिया था उनके स्कूली जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने मुल्तान के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की थी और उन्होंने masters की डिग्री को भी पंजाब लाहौर यूनिवर्सिटी से हासिल किया. मोहसिन नकवी की शायरियां उस वक्त कमाल करती थी जब वो अपनी स्कूली पढ़ाई कर रहें थे क्योंकि उन्हें उनकी शायरियों और गज़लों की वजह से ही एक अलग पहचान मिल गयी थी.

दोस्तों आपको बतादें की हमने इस mohsin naqvi shayari की ब्लॉग पोस्ट में उन अनोखी और अनसुनी शायरियों को भी जोड़ा है जिसे मोहसिन साहब ने कहीं पब्लिश नहीं और नाही किसी को सुनाई थी. दोस्तों मोहसिन नकवी ने सिर्फ इश्क और जुदाई पर ही शायरियां नहीं लिखी बल्कि उन शासकों के ऊपर भी कई शायरियां और गज़लें लिखी जो कि अपने फायदे की सियासत करते हैं. 

और आवाम को बुद्ध बनाते है इन्ही शायरियोंकी वजह से उन्हें कई बार धमिकयों का सामना भी करना पड़ा लेकिन उनकी गज़लों से जुड़ा हुआ हर इंसान तो तब रोया जब उनका बीच दोपहर में बीच बाजार में मर्डर कर दिया गया ये वाकई बहोत ही ज्यादा दिल टूटने वाली बात थी क्योंकि जिस शख्स के अल्फाज हमारे जख्मों पर मरहम का काम करते थे आज वही शक्स की मौत हुई थी. 

दोस्तों जब वो जिंदा थे मोहसिन नकवी की शायरियोंकी कई किताबें प्रकाशित हुई जिनमें से कई तो बहोत ज्यादा बिकी जिन्हें आप पढ़ सकते है.

अजीब-ए-दीद, ख़लीमा-ए-जान, बर्ग-ए-सेहरा, बंद-ए-कबा, मौज-ए-इदराक, तुलु-ए-अश्क़, फुर्सत-ए-फिक्र, रेजा-ए-हर्फ.🎂

जरा ठहर जाओ शहर में एक कहानी हो जाये, तुम्हारी शक्ल ओ सूरत से में वाकिफ हूं, कुछ हमारी भी शक्सियत तुम्हारे लिए जानी पहचानी हो जाये.

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Mohsin naqvi ki shayari

मुरझा जाता है दिल जब तेरे नींद में तेरी ख्वाब आते है, कम्बखत है इतना शक्तिशाली तेरा ख्वाब की एक बार देखने से

पैसों पर सभी अपनों की असलियत पता चल जाती है, मोहसिन अभी में अपनी पूरी दौलत लुटा कर आया हूं.

इश्क को करीब से देखना हो तो, बर्बाद होना पड़ता है, ख़्वावों को देखते देखते अक्सर आखों को ही खोना पड़ता है, ज़माने में कोई फूल नहीं बरसाता इश्क करता देख, लोगोंके फेके पत्थरों से लगी चोट को खुद ही सिलना पड़ता है.

Sabse mashhur mohsin naqvi ki gazal

जब लिखते हो रेत पर मेरा नाम तो उसे आसानी से यूं मिटाया ना करो, ये तुम्हारी ओ आँखें है ये अक्सर सच बोलती है, इसकी बातों को कभी झुठलाया ना करो, हमें पता है कि तुमभी मुझसे सच्ची मोहब्बत करते हो, इजहार नहीं करते मोहब्बत का तो हमें देखकर मुस्कुराया करो, मोहसिन ये जमाना है बड़ा ज़ालिम, इन इश्क के पैमाने को शायरियोंमे बताया करो.

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Mohsin naqvi kis shayari

ख्वाबों में उसका चेहरा जाना पहचाना सा लगता है, उसकी आखों में खो जाने को लगता है, मोहसिन ज़माने में है नहीं कमी लड़कियोंकी लेकिन क्या करें उसका किरदार सबसे खुशनुमा लगता है.

मुझसे बेवफ़ाई करते वक्त ये भी नहीं सोचा कि, आसमान में बिना तारों की चमक के चमकता चाँद भी उदास लगता है, ये रोज़ की तरह एक आम दिन है इसे त्योहार मत समझ ये मेरे इश्क का मातम है जिसे देखने रोज़ मेला लगता

मोहसिन, आज नही तो कल यह हादसा हमारे साथ होना ही था, बडीही कमजोर सी बस्ती थी हमारी इस बस्ती को उजाड़ने उसकी बेवाफ़ाई का सैलाब आना ही था.
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Mohsin naqvi ki shayari
में बैठा था तुझे याद करते हुए तो शहर वालों ने पूछा ये आशिक कौन बैठा है, मोहब्बत में बहोत टूटा सा लगता है, ये लहज़े से है तो आम शक्स है, लेकिन कुछ अलग सा लगता है, शायद इश्क में नाकाम हुआ है इसलिए पहले से कुछ बदला बदला सा लगता है.

खुदको आईने में चमकता देखती है, कोई देख न ले उसको इसका भी ख्याल रखती है, वो भलेही हमें ना देखे पल भर भी, लेकिन उसे कौन समझाए उसकी इसी अदा को देखकर हमारे होटों पर एक मुस्कान होती है.

था खुला दिल मेरा नजाने क्यों भर गई है इसमें आवारगी, लेता था जिस शहर में खुलके सांस अब उस हवां में मिल गयी है आवारगी, कल आया था उसका उसका पौगाम कहा आ रही हु लौटके जिंदगी मैं, हमभी खुदगर्ज़ थे, हमने भी मुस्कुराकर कहां अब कोई जरूरत नही लौटनेकी क्योंकि अब रास आती है आवारगी.

ये हमारे मोहब्बत के कुछ बातें है, जब हम रोते वक्त भी मुस्कुराते थे, जब हमारी नींदों में सिर्फ उसी प्यारे शक्स के ख्वाब धमकते थे, थे दिलों मैं सुराग कई लेकिन उसकी एक मुस्कुराहट पर सभी सुराग भर जाते थे, था जिंदगी में अंधेरा जो लेकिन उसीकी मौजूदगी से जिंदगी मैं रोज़ नये दिए जलते थे.

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किसी से हद से ज्यादा मोहब्बत करने की सज़ा मिली, थी खूबसूरत सी जिंदगी लेकिन इसमें नजाने अब कैसे आग लगी, मोहसिन थी जब साथ तो हर पल बोला करती थी कि कभी छोडूंगी तेरा साथ लेकिन हमें आज पता चला कि उसकी हर एक बात जूठी होती थी. 

में अपनी आप बीती नही बताना चाहता, कितने सितम किये उस भोले चेहरे ने बताना नहीं चाहता, मुझे पता है वो भारी महफ़िल में मेरे दांमन पर दाग लगा रही है लेकिन उसमें कितनी बुराइयां है में ये ज़माने में जताना नहीं चाहता.

मोहब्बत में आवारा होना पड़ता है, जिंदगी की सभी हदों को कर ज़माने से बेगाना होना पड़ता है, मोहसिन अगर दिल नहीं लगता तो बेशक बिछड़ जाओ क्योंकि मोहब्बत वहीं पर रहती है जहां मुस्कुराना होता है.

ज़माने की सभी रस्म ओ रिवाजों से आगे बढ़ना था, उसके जिंदगी में आने से पहले तो हम जिंदगी उदासियों से जी रहे थे, उसे अपनी जिंदगी बनाकर जिंदगी को नई खुशियों से भरना था, मोहसिन था किस्मत को कुछ और ही मंजूर क्योंकि उसके ख्वाबों में कोई करीबी अपना था.

हालातों से लड़कर जिंदगीको आसान बनाना है, है दिल में जितनी ख्वाइशें उन सभी को हकीकत बनाना है, है जिस हसीं के लाखों दीवाने उन सभीं अलग होकर उसको अपना बनाना है.

हमें ये बतलाओ जानी की किसलिए है, ये बेजां मेहरबानी की स लिए है, उसे बदनाम करना चाहते हो, तुम्हारे होटों पर ये निशानी किसलिए है, मिटाता क्यों नही तू इस दिल की लगी को तेरे आखों का ये पानी किसलिए है,

इश्क में हो जीत तो हर पल मुस्कुराना पड़ता है, और अगर हो हार तो संभाल जाना पड़ता है, मोहसिन दिल टूटने पर मारने की जिद नहीं करते, ये जिंदगी है बड़ी कीमती जिस गली में रहो उस गली में किसीको अपना दीवाना बनाना पड़ता है.

वीरान सा आंगन है मेरा उसके बिना न है रमदान और नाही दिवाली है, है जिंदगी में मुश्किलें कई और इन सभीं मुश्किलों की दवाई है, बस एक ही ऐसा मर्ज है जिसका कोई इलाज नहीं और उसका नाम ही घरवाली है.

मुश्किल हो या खुशी इन सभीं में तेरी याद आती है, जिंदगी देती है रोज़ नए ज़ख्म लेकिन तुझे देखकर मेरे होटों पर एक मुस्कुराहट प्यारी है, मोहसिन यूँ तो रोज़ अकेला ही गुजर रहा है दौर, लेकिन जब होती है तू मेरे साथ मेरी तभी दिवाली है.

जिसने ठुकराया मेरी सच्ची मोहब्बत को वो अपनी जिंदगी में क्या ही पायेगा, और जो पहचान न सका मेरी सच्चे इश्क को किसीके पैसों को देखकर वो क्या किसी एक का होगा.

दोस्तों आपको हमारी यह मोहसिन नकवी shayari की ब्लॉग पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताना और अपने उन दोस्तों के साथ भी सांझा करना जो कि mohsin naqvi साहब की शायरियां पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं क्योंकि हमें इनकी शायरियों और गज़लों में एक अजीब सी सादगी और इश्क की जुनूनीयत देखने को मिलती है, जो हमारे हमें देखने को एक नजरिया देती है.

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