Introduction of nida fazli
नमस्ते दोस्तों shayrislap.com पर आपका स्वागत है आज हम आपके लिए लेकर आ चुके है एक बडीही सुंदर ब्लॉग पोस्ट जिसका नाम है nida fazli shayari दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग पोस्ट के जरिये कुछ ऐसी शायरियां बताने वाले है जिन्हें आपने अपने जीवन में कभी नहीं पढ़ी होंगी. दोस्तों निदा फाजली शायरी की दुनिया में ऐसा नाम है जिसे हर कोई जानता है, क्योंकि इनकी शायरियां ही इतनी प्यारी होती है कि इंसान इनका दीवाना बनने लगता है.
दोस्तों इनकी शायरियां अक्सर समाज की सच्चाई के ऊपर होती है. दोस्तों निदा फाजली साहब की शायरियों में में हमें यह समझ में आया कि वह उपरवाले से बहोत ज्यादा प्यार करते है क्योंकि उनकी शायरियों में ऐसे कई शब्द हमें बार बार सुनने को मिलते है जैसे कि खुदा, अल्लाह, भगवान, मस्जिद मंदिर दोस्तों इनके शायरी करने का लहजा इन्हें सबसे अनोखा और निराला बनाता है दोस्तों आजतक ऐसा शब्द ही नहीं बना जो निदा फ़ाज़ली की शायरियों को सन्मानित कर सकें.
Nida fazli shayari jo kahi nahi sunai gayi
इन 😉बेजान पत्थरों 😏में आजकल 😇जान होती है🙌 कभी 💯अपने घर की 🤠दरों दीवार🤗 सजा कर😍 देखो, उस😊 सितारे को 🙌यूंही चमकने 💯दो इन आँखों 😍में आखिर 😏क्या मजबूरी 😤है कि इसे🙌 जिस्म की👩⚕️ नजर से😉 देखो दूरी हमारी 👀आंखों का छलावा😇 भी तो हो🤗 सकती है जब💯 कभी शाम🙌 को चाँद निकले😍 आसमां में 😉तो ऊपर की☺️ और हाथ बढ़कर😇 देखो,
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Nida fazli sahab ki shayari ya |
आज😎 सूरज तो 🤗अपने सलीके ☺️से उगा और 😤शाम भी🤠काफी सुहानी रही😇 यारी हमारी 💯भी इस😄 कम्बखत😏 जमाने से कई 🙌सालों तक रही😉 इस रास्ते😄 पर तो 😎अपना हौसला 🤗ही काम आएगा🙌 क्योंकि मंजिल😇 तो पास आने से 😉रही.
अपनों😇 को भी 🤠दोष दें रख 😏कर दिमाग 😄में नफरत 🙌के हाल, तेरी 😊सोच में जो 😄बुराई है 🙌सबसे 💯पहले तू उसे 😎निकाल,अल्लाह 😇ईश्वर गॉड का🤠 करें विभाजन 😄लोग, एक ही 😉उद्देश्य में है तीनो 🤗का संजोग, 😍चाहे वो फादर🙌 की इन्फॉर्मेशन 😇हो ब्राम्हण 😎का ज्ञान जितना 🤠खुदपर बीते 💯उतनी ही वो सच्चाई😇 को पाया जान🙌, मंदिरों के☺️ अंदर रोज़ सुबह🤗 शाम चढ़े😎 पूरियां और मिष्टान🤠 लेकिन मंदिर 🤗के बाहर का😎 भगवाग रोज़ बैठकर 🙌मांगे दान
हमने 😎तो सारी 🤗खुशियां😉 मिलाकर 😏देखी लेकिन👩⚕️ तेरे जाने का😤 गम ज्यादा है💯 और मुझको😎 वाशद पढ़ाई जाती✍️ थी मैंने उस्ताद😇 मार डाला🔥है और उसने 👩⚕️हंसकर कहा😄 इजाजत है 🤠मैंने रोकर कहा😤 खुदा 🤗हाफ़िज़
जमाने😇 की बनाई 😏हुई हदों से 😉बाहर निकलो 😤जंगल की💯 सैर करते😍 वक्त झरने 🙌में नहाकर देखो🤗, असल जिंदगी 🤗के मायने क्या🙌 है कभी किताबों😇 को आंखों👀 के सामने 🤠से हटाकर 😇देखो, जनाब😏 सिर्फ ओ😉 सिर्फ आखों 👀से ही दुनिया🌍 को नहीं❌ देखा जाता😤 कभी अपने❤️ दिल की 👀आखों को भी 😇खोलकर देखो,
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Janaab nida fazli ki gazal |
कभी 😊कभी हमने 😎यूंही अपने ❤️दिल को 🙌बहलाया है, जिन 😇बातों को 😤खुद नहीं ❌समझ पाए 😏उन्हें औरों को 😇समझाया है कितनी 😍दिललगी की 👩⚕️उस बेवफा😉 से लेकिन 🤗हमें मोहब्बत❤️ मैं सिर्फ ओ🤠 सिर्फ 💯धोका ही पाया😤 है
मिरों😇 ग़ालिब 🤗के शेरों 😉ने किसका 😊साथ निभाया है, 💯सस्ते गीतों को✍️ लिख लिखकर😍 हमने घर😎 बनवाया 😇है,
नक्शा😉 लिए हाथ 🙌में बेचारा बच्चा 😎है हैरान आखिर🤗 किसतरह से😏 खा गई दीमक💯 उसका हिंदुस्तान.
मुझ🤗 जैसा एक 😎आदमी मेरा ही 💯हमनाम, मेरा 😇ही हमनाम😏 उल्टा सीधा 😤वो चले फिर 💯भी मुझे करे😍 बदनाम
ईस🤗 आस्मां का 🙌सदियों से😊 रिश्ता है 😇ज़मीन से💯 किस कम्बखत को😎 पता है कौन 🤠है और आखिर😊 किस जगह है😉 हम, कभी 🤗हिंदुस्तान 😎के तो कभी 😄पाकिस्तान के 😄बलम है हम, कभी😉 शहर के तो कभी🤠 जंगल के है 🙌हम, अक्सर 🤗गिने जाते 😎वक्त ही😇 पहचाने जाते😇 हैं हम, क्योंकि यहां🌍 के हर ☺️कम्बखत ✍️कलमकार 😤की एक बेनाम☺️ खबर जो है हम.
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जनाब🤠 कही पर🤗 छत थी तो दीवारों🙌 पर सुराग थे😎 कई, जिसका😇 पता मिला😏 हमें काफी देर💯 से दी तो हर 😍खुशी खुदा ने 🤗मुझे लेकिन जो 😉भी दीं वो😤 काफी देर 😏से
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Anokhi nida fazli ki shayari ya |
हर☺️ इंसा में 🤗हैवान 😇भी है हर 😤किसी में भगवान😉 भी है, 😎वो तो हर☺️ किसी के💯 नजरिये पर 🙌मायने रखता 🤠है, जनाब चलते 😑फिरते दरिंदों के 🤗सिर्फ नाम😤 ही अलग है वरना ❤️दिलों में रेगिस्तान 😏वहां भी 🙌है और यहां भी है, 😉खुदा की 😍बरकत और💯 भगवान की कृपा 😤वहां भी है 🤗और यहां भी है,😊 हिन्दू भी ☺️जिंदगी काट रहा 🤗है और मुसलमान😎 भी जिंदगी😤 काट रहा है इंसानियत 😏वहां भी खतरे🔥 में है 😊इंसानियत यहां भी🙌 खतरे में 🤗है.
चाँद 😎से फूल🙌 सर्स या मेरी🤗 जुबां से 😄सुनिए हर तरफ😉 आपका किस्सा है मशहूर है 😑चाहे जिसकी😜 जुबां से 🤗सुनिए
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हमने😎 उस से जितनी👩⚕️ भी आशिकी 😍की थी उतनी😉 हमें नहीं ❌मिली अब🤗 क्या फायदे😏 को रोइये लागत ❌नहीं मिली हमारे 🤠कातिल तो 😤हमारे कत्ल से🙌 इस जहां में 🌍मशहूर हो गया🤗 लेकिन हमको 😇तो शहीद 💯हो कर भी 🤗शौहरत नहीं❌ मिली
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Nida fazli sahab ki sabse anokhi shayari |
जिंदगी😎 में हमसे 😇कोई भी 😄काम न❌ हुआ आम😉 तरीके से हमने 💯गुज़ारे है 🤗शबों-रोज कुछ🤠 इसतरह की😎 कभी शाम 😍को चाँद रोशनी🙌 रोशनी से जगमगाया☺️ गलत समय 😏पर कभी 😜हमारे घर में😄 सूरज 🙌निकला देर😤 से
जनाब😎 हम कभी ☺️सुमसान हुई 🙌राह पर 😉रुक से गये 🤠बेसबब तो🤗 किसी पल 💯समय से पहले😇 हमारी घिर😍 गई शब 🙌सारे के सारे 😉दवाहे बंद😎 हो गए 😉खुल खुलकर🤗 सब जिस 🙌भी जगह 😏गया में देर 😇से
मेरे 😇दोस्त हो🙌 रहें है ☺️जो सारे के😎 सारे इत्तेफाकात😉 के खेल है, 🤠यहीं पर है 😄अक्सर जुदाई 😤कम्बखत यहीं😑 पर मेल है, 😎मैने हर बार 💯मुड़कर देखा दूर 🤗तक लेकिन हर🙌 दफा बनी वो😉 खामोशी हमेशा देर😤 से
ये 😉चहकता 🤗दिन भी 😍खुशनुमा हुआ 😎जवां हुई ये☺️ रात भी, जाम 🙌जैसी दिखने 😏लगी ये बरसात 🌊भी, हमारी 😤जिंदगी में हुए 😄कुछ ऐसे 💯हादसे भी, 🤠जो कुछ 😄अच्छा हुआ बड़ी😉 देर से
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Nida fazli ki najm |
हमारी🤗 सोच भलेही🤠 अलग हो लेकिन🙌 हमारे साथ😍 कभी रिश्ता ❌मत तोड़िये हमारा❤️ लहजा वही😄 रहेगा आप 🤗अपने आप को होश 😇में बने रहिए
जनाब😇 खुदकी मर्ज़ी😏 से थोड़ी किसी🤗 मंजिल के 🙌है हम 😎जिधर को 😇जाए ये रास्ता 😍उधर के है 🤗हम, कुछ 💯दिनों पहले 😎हमें तो हर एक🤠 चीज़ लगा😤 करती थी 🙌खुदकी लेकिन 🤗अब हमें लगता💯 है कि खुदके घर 😉में होकर भी 😉किसी और 😇के मकान में😊 है हम,
Nida fazli sahab ki vo behtareen shayari jo ki sabse lokpriya hui
हमारी😉 जिंदगी 😇हमेशा 😤अंधेरे मे रहीं, 😏कभी देखने को ❌न मिली रोशनी,😎 छुपकर कहीं बैठा😇 हुआ था वो👩⚕️ इंसान, जो 🤠मिलकर रोशन 😤हुआ मुझमें😊 बहोत ज्यादा💯 देर से.
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लिपट🤗 के सोने 🙌की आदत 😇अब हमारी नींदें 😴हराम करती😤 है तमाम 😉शब्द तेरी 👩⚕️हसरत कलाम😍 करती है 😎हम ही इल्म के 🔥रोशन चिराग है 🙌जिनको हवा बुझाती🌪️ नहीं है सलाम❌ करती है किसी 🤗भी तौर सिखाती❌ नहीं है आज़ादी 😎मेरे हुजूर मोहब्बत 😍गुलाम करती😊 है
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Nida fazli ki shayari |
चलो 🤠छोड़ो जो🙌 हुआ सो हुआ 😎जल्दी से उठ ☺️यहां से और 🤗जल्दी से अपने😇 कपड़े बदल, और 😉मेरे घर से😎 तू जल्दी से 💯बाहर निकल, चलो 😍छोड़ो जो😑 हुआ सो💯 हुआ महकती 😇रात के बाद चहकता 😎दिन और 😤आज के बाद कल😊 चलो छोड़ो जो😴 हुआ सो😇 हुआ
दोस्तों अब एक नजर डालते है उनके निजी जीवन के बारे मे। दोस्तों निदा साहब का पूरा नाम मुक्तिदा हसन निदा फाजली है. दोस्तों इनका जन्म 12 ऑक्टोबर 1938 को हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में हुआ फिर किसी कारणवर्ष उनका बचपन ग्वालियर में गुजरा फिर उन्होंने अपनी शुरुवाती स्कूल की पढ़ाई वहीं से अंग्रेजी साहित्य के विषय में की दोस्तों निदा फाजली साहब के पिता भी काफी ज्यादा जाने माने शायर थे इसलिए उनके अंदर पैदाइशी वो बात थी जो एक शायर में. दोस्तों उन्हें सिर्फ ओ सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी उनकी शायरियोंके लाखों की तादात मैं कदरदान थे.
दोस्तों निदा फ़ाज़ली साहब ने शायरियोंके अलावा भी बॉलीवुड की कई फिल्मों के गानों को लिखा है. जैसे कि सरफरोश फ़िल्म का गाना होश वालों को खबर क्या और अजनबी कौन हो तुम फ़िल्म का गाना स्वीकार किया में जो कि काफी ज्यादा हिट रहें दोस्तों इनके इसी योगदान को देखते हुए 2013 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया जो कि हिंदुस्तान का काफी बड़ा पुरस्कार है
1965 में, भारत के विभाजन के अठारह साल बाद, उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य पाकिस्तान रहने चले गए. हालांकि उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया. ऐसा तब हुआ जब एक साल बाद फाजली ग्वालियर से मुंबई (1964 में) जिंदगी गुजारने के लिए कुछ पैसे कमाने गए हुए थे उनके माता-पिता का यह जाना उनके जीवन में एक जिंदगी को तहस नहस कराने वाली घटना थी, जिसके दर्द और प्रतिध्वनियाँ उनके जीवन भर बनी रहेंगी लेकिन इस सदमे से निकलने के बाद निदा फाजली शायरियां काफी ज्यादा लिखी और जो कि काफी ज्यादा लोकप्रिय भी हुई।
अगर उनके परिवार की बात करें तो उनकी दो शादियां हुई है उनके दूसरी बीवी का नाम था मालती जोशी जो कि एक हिन्दू थी और उन्हें एक बेटी भी हुई जिसका नाम तहरीर फ़ाज़ली है और अगर उनकी मौत की बात करें तो उनकी मौत दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने से 8 फेब्रुवरी 2016 लो को हुई जो कि शायरी की दीवानों के लिए काफी ज्यादा दुःखद घटना थी.
सबकी😉 संस्कृति है😎 एक सी बस 💯अलग अलग🤗 परंपरा😎 और रीत,💯 मंदिरों में 😏पूजा करने जाए🙌 ब्राम्हण, 😤सुबह सुबह🤗 कोयल गाये 😄गीत, सबको है🤗 पैसों चाह 😊कितना भी मिले ❌नही ये पैसों 😏के हवस की 😤प्यास, इसे 🤗पाने के लिए भागो 😑दौड़ो यहीं है सबका😊 इतिहास, चाहो 💯तो पढ़िए बाइबल 🤗या पढ़िए🤠 कुरान इंसानियत है🤗 सबके दिलों ❤️में यहीं है😎 सभी किताबों का😇 ज्ञान
जनाब 😉हमारे सीने🤗 में जिस पल 😏तक सांस है 😇तब तक🤠 ही हमारे लिए😎 भूख और 😍प्यास है 😇और यही कभी ❌न मिटने वाला 😎इतिहास है, चल🤗 अब छोड़😇 और अपने🙌 खेत की😇 और चल 😊जो हुआ सो💯 हुआ
अब 🤠तो खून 😎से लत-पत😇 करकर हर 🙌एक रहगुजर को😇 थक चुके हैं😉 ये जानवर 😊चल अब 😄छोड़ बातें 😎और कुछ पल 👩⚕️औरतों के जैसे, 💯जलते हुए चूल्हें🔥 में जल क्योंकि 😏जो हुआ सो 😉हुआ
जो 🤠इंसा गया😎 तो क्यो गया😇, कोई इंसा 😤अगर जला 🔥तो क्यों जला, 🤠अगर कोई गिरा 💯तो क्यों गिरा😏 एक अरसे 🤠से कहीं छुपे 😤हुए हैं ईन 🤗सारे सवालों के😑 जवाब चल 😉अब छोड़😊 जो हुआ 😎सो 😇हुआ.
जनाब🤗 वो तवायफ ही 😏सही लेकिन 😤वो मर्दों की🤠 नस नस😊 को अच्छे🙌 तरीके से 😤पहचानती है,🤗 शायद 💯इसी वजह😏 से वो औरों से👩⚕️ ज्यादा जानती😑 है, उस 🙌के गरीबखाने के🤗 कमरों में🌍 दुनिया के हर मजहब💯 के खुदाओं की 🙌एक तस्वीर लटकी 😤हुई है, वो😏 तस्वीरें 😤इन लीडरों की 🤠तकरीरों की ☺️कतई नुमाइश नहीं ❌उसके गरीबखाने 😊का दरवाजा हिन्दू🙌 मुसलमान 😏सिख और ☺️ईसाई हर एक😑 मजहब के इंसानों 💯के लिए खुला 🤠हुआ होता 🤗है.
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सीधा😇 साधा डाकिया😊 जादू करें🙌 महान एक 💯ही थैले में😤 भरे आंसू 😄और मुस्कान 😉लोग लाख 🤗बुरा कहें मेरे😎 हिंदुस्तान को 🙌लेकिन मेरे ❤️दिल से एक 😍ही आवाज😉 निकले मेरा हिंदुस्तान 🔥महान
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NIda fazli ki shayari ya |
वो👩⚕️ कभी किसी😤 एक इंसान 🙌के साथ 😎पूरी उम्र नहीं❌ गुज़ार सकती ये 😊तो उस बेचारी 😏की मजबूरी नहीं❌ उसकी सच्चाई है😍 पर जब 😏भी किसी इंसान 🤠के साथ 🙌रहती है तबतक 😊उसके साथ😉 कबिभी बेवफाई नहीं करती ये जालिम जमाना भलेही उसके दामन को बुरा 💯भला कहें, 😉लेकिन किसी 😇एक के साथ🤠 जिंदगी भर😊 झूठ बोलने से 😏अच्छा है कि😤 अलग अलग😎 घरों में जाकर 😊सच्चाई बिखेरी😍 जाए
हड़बड़ी🤠 में मस्जिद😎 से उठकर 🤗कई नमाज़ी 😊चले गए सिर्फ 💯ओ सिर्फ आतंकियों😉 के हातों 😇में इस्लाम😑 रह गया😉. (यह शायरी निदा फाजली जी की है)
इस 😏कम्बखत 🌍दुनिया में नज़र😎 फेर के देखो 💯जिसे भी 😊वो तो खुदमें 🤗ही गुम है, जुबां🙌 तो मिली 😎है लेकिन 😉अबतक कोई😍 हमजुबां नहीं❌ मिला.
तेरा 👩⚕️हिज्र अब😊 मेरी किस्मत😎 है, और 😉तेरे जिंदगी😊 के गम ही 😏मेरी हयात है🤗, आखिरकार 🤠मुझे तेरी👩⚕️ दूरी का गम😤 क्यों हो, तू इस💯 जहां में🤠 कहीं भी😑 रहें तो मेरे👩⚕️ ही पास 😊है❤️,
ये 😏जिंदगानी का 😎भी है अजीब ओ🤗 गरीब सफर😉 आखरी ❤️धड़कन तक है 😄बैचैन आदमी इस 🌍जहां के😑 हर कोने में😍 है बेशुमार 😏आदमी लेकिन 🤗फिर न जाने क्यों😊 है अकेलेपन का 🤗शिकार 🤠आदमी.
हमारा तो 😎इस जमीन के🤠 साथ साथ😍 आसमा के💯 साथ सफर 😇है बरसों से 😉आखिर किसे 😄मालूम है कि😎 कहां है और🤗 किस जगह पर है 😎हम
हमें😇 तो इस 🤠शहर की हर 😤गली बस एक 🙌नुमाइश लग 😉रही है जिसभी🤗 इंसान से हमारी☺️ मुलाकात💯हुई बनकर 😉इश्तेहार 🤠हुई
Nida fazli ki gazal aur pyaari images
इन😎 बच्चों की👀 आखों में 😤जो सपने 😍पल रहें है😑 उन्हें उसे 🤗पूरा करने दो 🤠क्योंकि दो तीन 😎किताबों को 💯पढ़कर तो वो 🤗हम जैसे ☺️होने ही वाले 😄है.
हमारे😇 हम तो जनाब😎 आवारा है 🤗अक्सर तन्हाई 🤠में भटक 🤗जाते है, जिस ☺️भी जगह रहिए😍 दिलों को❤️ मिलाते 😎रहिए
अब 😎तो जिंदगी 😄में खुशियां है,❌ ना है कोई 🙌कम्बखत 😄रुलाने वाला, 😏क्योंकि हमने 🤗अपना जो लिया 😇है रंग जमाने🙌 वाला
जब 😇इंसान को ना❌ हो आशिकी😍 तो उसे😏 कभी हमसफ़र❌ नहीं मिलती,🤗 जिंदगी में 🙌कभी भी 😄इतनी 😇बड़ी खुशी 😉खैरात में नहीं ❌मिलती.
हर 😇पल खुदमें 😄उलझकर 😉गुजारना है 🙌नसीब मेरा, 😇बहते हुए हर खून की बूंद में है हिस्सा तेरा.
उसकी👩⚕️ खूबसूरती का😍 तो हर एक🤗 शख्स दीवाना☺️ है, लेकिन😇 उन बेचारों 🙌को क्या पता, 😏उसके हर😄 गली मोहल्लों में 🤠कोई हमदर्द अपना💯 है.
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वो 👩⚕️अपना गुरुर 😄कुछ ज्यादा🤗 ही बढ़ाने लगा 😎था हमने भी फौरन 😇अपनी धूप को😑 हटाकर उसका 💯गुरुर तोड़ दिया
जीतने 🤗की हवस में🙌 यहां कोई🤠 चलने को ❌रास्ता नहीं देता😍 अगर हमें🤗 गिराकर खुदको☺️ संभाल सको तो जरूर😇 संभालो
इस मतलबी ज़माने में रिश्ते बनाने निकले थे, लेकिन लोग हमें आज़माते चले गये, जितने भी आये गमों के पल जिन्दगी में सभी मुस्कुराते निकल गये, यूं तो हमें मरने की ख्वाइश नहीं थी लेकिन, नजाने किसतरह हम उसको चाहते चाहते मौत की दहलीज पर पहुंच गये.
बेसन 😇की सौंधी 🤗रोटी पर खट्टी 🙌चटनी सी माँ 👩⚕️याद आती💯 है चौखा बासन 😇चिमटी फूंकनी😎 जैसी माँ👩⚕️ याद आती है 😉बांग की खुर्री😍 खाट के 😄ऊपर हर 🙌आहत पर खान 😇धरें आधी सोई 😴आधी जागी थकी😉 दुपहर सी माँ 👩⚕️याद आती ❤️है
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Nida fazli ji ki sabse lokpriya nazm |
Nida fazli ki gazal jo ki sabse anokhi aur hit hai
जनाब दिन हमारा भी बड़ेही सलीके से उगा, और रात बड़ेही आराम सी रहीं, जमाने की असलियत हमें मत बताओ, कुछ सालों तक यारियां हमारी भी रोज जमाने से रही.
कुछ पलों के लिए ही तो होती है, तुमपर मेहरबां आँखें, वरना हमारी जिंदगी तो, अक्सर तुम्हारी तस्वीरे बनाने से रहीं.
जनाब हमें तो इस अंधेरे से भरी हुई खंडर में पत्थर की छोटी सी दीवारें ही सही में उजाला देगी, यह वीरान रात तो हमारे लिए कोई दिया जलाने से रही
दूरी अक्सर सियारा बना देती है हर पत्थर को, क्योंकि दूर की चीजें तो पास आने से रहीं
इस कम्बखत शहर में हर किसी को कहाँ मिलती है आखों से अश्क़ बहाने की जगह, हमारी इज्जत तो यहां हर किसी की मुस्कान बरकरार रखने में रही
में🤠 तो कभी 🤗कभी सोचता हूं 😇कि चिरागों 🔥का एहतमाम 😎करुं लेकिन🌊 इस बहती हुई😉 हवा को भूख🙌 लगी है कुछ🤠 इंतज़ामात करूं😇हर एक सांस 😉अब रगड़ 💯खा रही है 😉सीने में और 🙌आप कहते😤 है कि आहों😏 पर और काम🤗 करुं
Nida sahab ki gazal no 2
इस शहर में कुछ इंसान हमसे बेवजह ही दुखी है उनमें से हर एक के साथ हमारी भी नहीं बनती जिससे भी मिलों उसमें छुपे हुए होते है पच्चीस तीस आदमी
जिसको भी मिलना है कई बार मिलना है बडाही ही अजीब ओ गरीब समय है तय यहां कुछ भी नहीं नाही चांद में सुकूं है और नाहीं सूरज गर्माहट में रहता है उंगलियों पर गिने जाने वालों के हातों में है करोड़ों का नसीब जुदा है लोग और इलाके पर सभी की एक सी जंजीरें है,
सिर्फ ओ सिर्फ कुछ सालों की यह दिक्कत नहीं सदियों की यह मुसीबत है हर किसी के बच्चे कि आखों में बसे हुए ख्वाब है लेकिन कुछ ही घरों में ताबीरें है हर चीज़ को खुदा के हातों में मत दे थोड़ा अपने हातों में भी इख्तियार रख बहते हुए पानी की हिफाजत करना है
एक इबादत की तरह सूखे में पानी के बिना खेती को किया हमारे बीच में दुश्मनी भलेही बहोत बड़ी हो हमारी सोच मिले न मिले लेकिन अपने दिलों को मिलाते रहिए
दोस्तों अगर आपको हमारी यह निदा फ़ाज़ली शायरी की ब्लॉग पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने निदा फ़ाज़ली जी की शायरीयोंके दीवानों तक पहुंचाना न भूले और और आपको इस पोस्ट में से कौनसी शायरी, ग़ज़ल सबसे ज्यादा पसंद आई हमें कमेंट करके जरूर बताएं धन्यवाद.
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